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Tuesday, 2 August 2016

राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन (National Social Conference)


  • भारतीय (राष्ट्रीय) सामाजिक सम्मेलन एम.जी.रानाडे और रघुनाथ राव द्वारा स्थापित किया गया था।
  • यह वस्तुतः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सामाजिक सुधार का एक भाग था। 
  • इसका पहला सत्र दिसम्बर 1887 में मद्रास में आयोजित किया गया था। 
  • सम्मेलन अंतर जातीय विवाह का विरोध और बहुविवाह की वकालत की।
  • Indian (National) Social Conference was founded by M.G. Ranade and Raghunath Rao. 
  • It was virtually the social reform cell of the Indian National Congress. 
  • Its first session was held in Madras in December 1887. 
  • The Conference met annually as a subsidiary convention of the Indian National Congress, at the same venue, and focused attention on social reform. 
  • The Conference advocated intercaste marriages and opposed kulinism and polygamy. (GKT)

Friday, 17 June 2016

औद्योगिक नीति प्रस्ताव 1956


  • अर्थव्यस्था में सार्वजनिक क्षेत्रक को महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान की गयी। 
  • कुछ उद्योगों की एक श्रेणी बनाकर उन्हें राज्यों की सरकारों को प्रदान कर उन्हें इसकी जिम्मेदारी दी गयी ताकि राज्य उन्हें धीरे-धीरे निजी क्षेत्रक से अपने नियंत्रण में ले सके।
  • सरकारी उद्मो के साथ-साथ निजी क्षेत्रक के विकाश की भी व्यवस्था की गयी।
  • अर्थव्यवस्था के नीतिगत ढांचे में उदारता लेन का प्रयास किया गया।
© सूरज पटेल

शुद्धि आन्दोलन

शुद्धि आन्दोलन दयानन्द सरस्वती (आर्य समाज 1875 ई के संस्थापक) ने चलाया।
इस आन्दोलन के अन्तर्गत ऐसे हिन्दुओं को जो बलपूर्वक ईसाई या मुसलमान बन गये थे तथा जो पुनः हिन्दू धर्म को स्वीकार करना चाहते थे, उनकी शुध्दि करके हिन्दू धर्म ग्रहण करवाया जाता था।
इस आन्दोलन के द्वारा लाखों हिन्दूओं को जो ईसाई और मुसलमान बन गये थे को शुध्द करके पुनः हिन्दू धर्म में सम्मिलित कर लिया गया।- सूरज पटेल।
Surajsumitpatel@gmail.com

जानिए काला धन और स्विस बैंक की संपूर्ण प्रक्रिया

आखिर क्यों स्विस बैंक है पहली पसन्द
 भारत में काले धन का भूत बहुत समय से लोगों को परेशान कर रहा है। काले धन की बात हो और स्विस बैंक का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता। आखिर स्विस बैंक को काले धन का सबसे सुरक्षित ठिकाना क्यों माना जाता है? कैसे किया जाता है स्विस बैंकों में काला धन जमाय़? ऐसे ही बहुत से प्रश्नों का विस्तार से उत्तर देने का प्रयास किया गया है इस लेख में : -
स्विट्ज़रलैंड का बैंक गोपनीयता क़ानून : यह क़ानून 1934 से लागू है। उस समय जर्मनी सहित यूरोप के कई देशों में भयंकर मुद्रास्फीति (मंहगाई) और आर्थिकमंदी के कारण धनवान लोग अपने पैसे को तटस्थ देश स्विट्ज़रलैंड की मूल्यस्थिर मुद्रा में बदल कर वहाँ के बैंकों में जमा करने लगे थे।
1934 में यह कानून लागू होने के साथ ही स्विस बैंकों को मानना पड़ा कि वे देश के संघीय बैंक नियंत्रण आयोग द्वारा उसके पालन की निगरानी को स्वीकार करेंगे। 1 जनवरी 2009 से यह निगरानी "संघीय वित्तबाज़ार निगरानी आयोग FINMA" के हाथ में है। अपने अधिकारक्षेत्र के भीतर केवल यही आयोग बैंकों से जानकारियाँ माँग सकता है, पर उसे भी गोपनीयता बरतनी होगी।
उसका मुख्य काम यह देखना है कि बैंक अपने कामकाज में सरकारी नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। विदेशी सरकारों की प्रामाणिक शिकायत मिलने पर FINMA ही उन्हें किसी ग्राहक के बारे में आधिकारिक जानकारी दे सकता है।
बैंक गोपनीयता क़ानून हर देश में होता है। स्विट्ज़रलैंड की विशेषता यह है कि जब तक किसी को ऐसे वित्तीय अपराध में लिप्त नहीं ठहराया जा सके, जो स्विट्ज़रलैंड में भी अपराध है, तब तक पुलिस से लेकर कर राजस्व विभाग, राष्ट्रीय बैंक और न्यायालय भी किसी बैंक से उसके किसी ग्राहक के खाते के बारे में जानकारी नहीं माँग सकते।
बैंक गोपनीयता क़ानून की धारा 47 के अनुसार स्विट्ज़रलैंड के हर बैंक का हर कर्मचारी, अधिकारी, बैंकिंग से जुडी संस्थाएँ, एजेंट, लेखा-परीक्षक (ऑडिटर) और स्वयं बैंक निगरानी आयोग के सदस्य व कर्मचारी भी गोपनीयता बरतने के लिए बाध्य हैं।
इस गोपनीयता का उल्लंघन एक ऐसा आधिकारिक (ऑफ़िसियल) अपराध है, जिस की विधिवत शिकायत (भारत में एफ़आईआर) नहीं होने पर भी पुलिस और न्यायिक अधिकारियों को तुरंत सक्रिय हो जाना पड़ेगा। गोपनीयता क़ानून के लापरवाही भरे उल्लंघन की अदालती सज़ा है ढाई लाख स्विस फ्रांक (लगभग ढाई लाख डॉलर) तक का अर्थदंड और जानबूझ कर उल्लंघन की सज़ा है तीन साल तक जेल या नुकसान के अनुसार अर्थदंड। सज़ा के अलावा बैंक को जो भी नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने की वह अलग से माँग कर सकता है।
बैंक किसे जानकारी दे सकते हैं : खातेदार के जीवित न होने पर स्विस बैंक केवल उसकी संपत्ति के सच्चे वारिसों को ही खाते की स्थिति के बारे में जानकारी दे सकते हैं। वे ऐसे पति या पत्नी को भी जानकारी दे सकते हैं, जिसके पास अदालती डिग्री है कि उसे अपने जीवनसाथी के खाते की स्थिति जानने का अधिकार है।
खातेदार की संपत्ति कुर्क होने या उस का किसी बड़े भ्रष्टाचारी, आतंकवादी, धोखाधड़ी अथवा कालेधन की धुलाई वाले मामले से संबंध होने की स्थिति में अदालती आदेश पर ही किसी बैंक कर्मचारी को अदालत में गवाही देनी पड़ सकती है। ऐसे किसी मामले से जुड़े किसी विदेशी सरकार के अनुरोध को बैंक तभी स्वीकार करते हैं, जब यह अनुरोध स्विस सरकार के माध्यम से आया हो, हर संदिग्ध व्यक्ति के बारे में अलग से ठोस प्रमाण हों और स्विस सरकार ने या किसी स्विस न्यायालय ने जानकारी देने का अनुमोदन किया हो।
काले धन के मामले में 1998 से एक नया कानून है कि बड़ी मात्रा में पैसे की ऐसी हर आवा-जाही (ट्रांसऐक्शन) के बारे में, जिस पर काला धन होने का भरोसेमंद शक है, बैंक निगरानी आयोग को सूचित किया जाएगा।

कैसे खोला जाता है स्विस अकाउंट : केवल कुछ ही वर्षों से प्रभावी "अपने ग्राहक को जानिये" सिद्धांत के अनुसार हर स्विस बैंक से अब यह आशा की जाती है कि वह अपने ग्राहक को जाने। उसका पहचानपत्र (आइडेंटी कार्ड) या पासपोर्ट देख कर उसकी पहचान करे। उसकी संपत्ति और वित्तीय स्थिति को जाने।
यह भी मालूम करे कि वह जो पैसा जमा करना या किसी फ्रतिभूति या निवेशपत्र में लगाना चाहता है, वह कहाँ से आया है। पर, बैंक यह सब करता है या नहीं, यह उसका अपना जोखिम है और उसी पर निर्भर है। बैंक से आशा की जाती है कि वह यह सब तब भी जानने का प्रयास करेगा, जब कोई ग्राहक ऐसा गुमनाम खाता, सेफ़ या शेयरों आदि के लिए डिपो खोलना चाहता है, जिसका केवल कोई नंबर या कोड भर होगा।
बैंक खातेदार का नाम-पता केवल अपने लिए नोट कर कर सकता है और उन्हें इस तरह गोपनीय रख सकता है कि बैंक के भीतर भी थायद ही कोई उन तक पहुँच सके। खातेदार की पहचान के बारे में रत्तीभर भी जानकारी के बिना खता खोलना 1998 से मना है। लेकिन, बैंक चाहे तो वह किसी विदेशी व्यक्ति का तब भी खाता खोल सकता है, जब वह व्यक्ति यह सब बताने से मना कर दे। एक स्रोत ने गुमनाम रहने की शर्त पर यह भी बताया कि भारत जैसे ग़ैर-यूरोपीय देशों के विदेशियों के मामले में स्विस बैंक "अपने ग्राहक को जानिये" के सिद्धांत का उस गंभीरता से पालन नहीं करते, जिस गंभीरता से यूरोपीय संघ वाले देशों के निवासियों के प्रसंग में करते हैं।
किसी विदेशी के नाम खाता खोलने के लिए स्विस बैंक कम से कम 50 हज़ार फ्रांक से लेकर 5 लाख फ्रांक खाते में जमा करने की माँग करते हैं। खाता खोलने की कोई फ़ीस नहीं लेते, पर उस में होने वाली पैसे की आवाजाही (ट्रांसऐकेशन) पर अपनी-अपनी अलग दर से फ़ीस लेते हैं। हर बैंक की ब्याजदर भी अलग होती है। ग्राहक यदि क्रेडिट कार्ड चाहता है, तो उसे क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल की एक निश्चित धनराशि-सीमा स्वीकार करनी पड़ती है। ग्राहक अपने खाते की गोपनीयता सुनिश्चित होने के साथ-साथ यह भी मान कर चल सकता है कि स्विस फ्रांक एक बहुत ही सुदृढ़ मुद्रा है। उसका मूल्य अधिकतर बढ़ता ही रहा है।
खाते से होने वाली आय पर कर : स्विस करदाताओं और यूरोपीय संघ वाले देशों के निवासियों के खातों में जमा धनराशि पर जो भी ब्याज इत्यादि जुड़ता है या उसमें जो भी डिविडेंड इत्यादि जमा होता है, बैंक उस पर 35 प्रतिशत स्रोतकर (सोर्स टैक्स) काट कर उसे स्विस राजस्व विभाग को सौंप देते है।
पर ऐसे विदेशी, जो न तो स्विट्ज़रलैंड में और न यूरोपीय संघ के किसी देश में करदता हैं, उन्हें कोई आयकर या स्रोतकर नहीं देना पड़ता। स्वयं स्विस नागरिकों को भी अपनी वार्षिक आय की सही घोषणा के बाद स्रोतकर वापस मिल जाता है, केवल नियमित आयकर देना पड़ता है। स्विस आयकर क़ानून सिर्फ़ यह देखना चाहता है कि हर कोई अपनी सही आय की ईमानदारी से घोषणा कर रहा है या नहीं। इस 35 प्रतिशत स्रोतकर को वापस पाने की लालच में हर स्विस नागरिक अपनी सच्ची आय बता ही देता है।
कॉर्पोरेट कंपनियों का गोरखधंधा : बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी कर चुराती और काले धंधे करती हैं। अपने विदेशी कारोबार के लिए कोई कंपनी करचोरी और कालेधन का स्वर्ग कहलाने वाले किसी देश में अपनी एक शाखा कंपनी खोलती है। अपने मूल देश से बाहर हुए कारोबार के लाभ को वह मूल देश में लाने के बदले शाखा कंपनी के नाम से उसके देश किसी बैंक में जमा कर देती है।
कंपनियाँ कम कराधान वाले देश में अपनी शाखा-कंपनी से पैसा उधार ले कर उसे अधिक कराधान वाले देश में निवेशित करती हैं।
उधार पर ब्याज़ क्योंकि कम कारधान वाले देश में स्थित शाखा-कंपनी के नाम चला जाता है, इसलिए अधिक कराधान वाले देश में वे कोई नहीं या बहुत कम लाभ दिखाती हैं और उसी उनुपात में कुछ नहीं या मामूली-सा कर देती हैं।
एक ही कंसर्न के भीतर हुए कारोबार को बहियों में इस तरह दर्ज किया जा सकता है कि ऊँचे कराधान वाले देश में हुआ लाभ उसी कंसर्न की किसी दूसरी जगह की कंपनी के नाम दिखाया जा सके, जहाँ कर की दर कम है।
उदाहरण के लिए, किसी पेटेंट के इस्तेमाल का अधिकार कर-बचतकारी देश की कंपनी के नाम कर दिया और इस्तेमाल की फ़ीस देने का जिम्मा अधिक कर वाले देश में स्थित अपनी शाखा कंपनी पर डाल दिया। फ़ीस देने से आय घटी, यानी कर बचा।
पश्चिमी देशों की बहुत-सी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इसी तरह की हेराफेरियों से अपने मूल देश में बहुत ही मामूली कर देती हैं। करचोरी का स्वर्ग कहलेने वाले देशों के बैंकों में व्यक्तियों के ही नहीं, कंपनियों के भी खाते होते हैं।
Source- Webduniya

स्विस बैंक का संछिप्त परिचय--
"यूबीएस (पूरा नाम, UBS AG) विश्व की एक प्रमुख वितीय कम्पनी है जो भारत में "स्विस बैंक" के नाम से कुख्यात है। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के जूरिक और बसेल में है। यह संसार की व्यक्तिगत सम्पदा के प्रबन्धन की सबसे बड़ी कम्पनी है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि विश्व के बड़े-बड़े भ्रष्ट राजनेता और टैक्स-चोर इस बैंक में अपना धन जमा करते हैं। यूबीएस "यूनिअन बैंक आफ स्विट्जरलैण्ड" का संक्षिप्त रूप है जो कि इसकी पूर्व-संस्था का नाम है। सन् १९९८ में इसका विलय स्विस बैंक कारपोरेशन में हो जाने के बाद अब यह नाम सार्थक नहीं रहा।"

कुछ बाहरी महत्वपूर्ण लिंक--
'SBI से भी आसान है स्विस बैंक में खाता खोलना'
http://navbharattimes.indiatimes.com/india/opening-account-in-swiss-bank-easier-than-in-sbi-kejriwal/articleshow/17162798.cms
-Suraj (Sumit) Patel

भारतीय मिसाइलों की सूची (List of Indian Missiles)

1. Prithvi-I (SS-150)(Range: 150 km, Payload: 1000 kg, User: Army)

2. Prithvi-II (SS-250)(Range: 250 km - 350 km, Payload: 500 kg - 1000 kg, User: Air Force, Army)

3. Prithvi-III (SS-350)(Range: 350 km - 600 km, Payload: 250 kg - 500 kg, User: Army, Air Force, Navy)

4. Agni-I (Range: 700 – 1,200 km, Type: MRBM, User: Army, Air Force)

5. Agni-II (Range: 2,000 – 2,500 km, Type: IRBM, User: Army, Air Force)

6. Agni-III (Range: 3,000 – 5,000 km, Type: IRBM, User: Army, Air Force)

7. Agni-IV (Range: 2,500 – 3,700 km, Type: IRBM, User: Army, Air Force)

8. Agni-V (Range: 5,000 – 8,000 km, Type: ICBM, User: Army, Air Force)

9. Agni-VI (Range: 8,000 – 10,000 km, Type: ICBM, User: Army, Air Force)

10. K-15 (Range: 750 km, Weight: 10 tonne, Warhead: 1 tonne, length: 10 m)

11. K-4 (Range: 3,500-5,000 km, Weight: 17 tonnes, Warhead: 1 tonne - 2.5 tonnes, length: 10 m)

12. K-5 (Range: 6,000 km, Weight: Unspecified, Warhead: 1 tonne, length: Unspecified)

13. BrahMos (Type: Supersonic, Range: 290 km, Status: Inducted)

14. Shaurya (Type: Hypersonic, Range: 1000-1800 Km, Status: Inducted)

15. SRSAM (Type: Hypersonic, Range: 15 Km, Status: Inducted)

16. Pinaka (Range: 40 km, Status: Inducted)

17. Nag (Range: 4km, Status: Induction)

18. Akash (Range: 30 Km , Status: Inducted)

19. Phase-I: (Status: Development completed)

20. MRSAM (Range: 70 km, Used: Air force)

Some other Indian Missiles that are either in development phase or in testing phase are :

1. BrahMos-2 (Type: Hypersonic, Range: 290 km, Status: In development)

2. Long-Range Cruise Missile (LRCM) (Type: Supersonic, Range: 1000 km, Status: In development)

3. Pinaka 2 (Range: 120 km, Status: Design Phase)

4. Nag 2 (Range: 7 km, Status: In development)

5. Akash MK2 (Range: 45 -50 KM, Status: In development)

6. Astra missile Mk2 (Range: 100-120 km, Status: Design Phase)

7. Phase-II (Status: In design Phase)

8. Prahaar (Range: 150 KM, Status: In Test Phase)

9. Astra (Range: 80 km, Status: In Trail Phase)

10. Helina (Range: 7Km, Status: In Test Phase)

11. LRSAM (Range: 70 Km, Status: testing phase)

12. Trishul (Range: 8-12 Km, Status: Closed)



surajsumitpatel@gmail.com

Source: Ias.org

पूरे विश्व में हिन्दू और मुस्लिम देशों की संख्या (Hindu and Muslim countries in the world)

Total Hindu Country- 23
कुल हिन्दू देश- 23 

Total Muslim Country- 104
कुल मुस्लिम देश- 104


Hindu Majority Country- 3
हिन्दू प्रमुखता वाले देश- 3

Muslim Majority Country- 49
मुस्लिम प्रमुखता वाले देश- 49